लकडी का कूलर एक डेजर्ट कूलर होता है यह प्राकृतिक एवं प्रभावी शीतलन के कारण आज भी प्रचलन में है यह प्लास्टिक एवं मेटल कूलर की अपेक्षा अधिक शीतलता देता है
बेहतर कूलिंग पैड—लकडी के कूलर में चीड की लकडी से निकाली गयी घास का प्रयोग किया जाता है कूलर में घास की परत की मोटाई 30 एमएम के आस पास रहती है जिसके कारण यह अन्य कूलर की अपेक्षा बहुत अधिक ठण्डक देता है हनीकॉम पैड फलोराइड के कारण 1 से 2 वर्ष में खराब हो जाते हैं, जबकि लकड़ी की घास काफी सस्ती होती है जिससे 150 रूपए के खर्च पर आसानी से बदला जा सकता है।
प्राकृतिक ठण्डक—लकडी गर्मी को कम सोखती है और ठण्डी हवा को लम्बे समय तक बनाये रखती है जिससे कमरे का तापमान तेजी से गिरता है
टिकाउ और मजबूत— लकडी के कूलर काफी मजबूत होते हैं ये प्लास्टिक कूलर की तुलना में अधिक चलते है हमारे द्वारा प्रयोग की गयी लकडी का कूलर 5—6 वर्ष तक आसानी से चल जाते हैं इसकी मरम्मत करना आसान है अगर कोई हिस्सा खराब हो जाए तो उसे बदला जा सकता है पहाड़ी क्षेत्रों में लकड़ी से कूलर ही नहीं घरों को भी बनाया जाता है
इसमें आपको 150—200 लीटर पानी का प्लास्टिक टैंक मिलता है जो बार-बार पानी भरने की परेशानी से मुक्ति देता है।
फ़ोल्ड करने योग्य होने के कारण आप इसे आसानी से कहीं भी रख सकते हैं या कूलर को पालिथीन से ठीक से कवर कर छत पर रख सकते हैं।
18 इचं एग्जॉस्ट पंखा होने के कारण इसकी हवा का दबाव बहुत ही अच्छा होता है जिसे डिमर (रेगुलेटर) से रेगुलेट कर सकते हैं।
यह सबसे अच्छे कूलरों में से एक है जिसे (4'-6500/पीस) (5'-7200/पीस) की रेट पर आप हम से खरीद सकते हैं